Friday, March 13, 2009

नोट बाटने के मायने

आज दोपहर न्यूज़ चैनल देख रहा था । अचानक आई बी एन सेवेन पर एक ब्रेकिंग न्यूज़ आयी। मुलायम सिंह यादव के कार्यकर्तायों ने इटावा में होली मिलन कार्यक्रम के दौरान १००-१०० के नोट बाटें। इस के बाद शुरू हो गया मीडिया के पागलपन का दौर । भला स्टार न्यूज़ कैसे पीछे रहता उसने भी मुबई की घटना को दिखाना शुरू कर दिया । मुबई में कांग्रेस के सांसद सिने अभिनेता गोविंदा अपने घर आए हिज़डों और मलिन बस्तियों के समूह को रुपये दे रहें । जाहिर है की मीडिया का यह उत्तरदायित्व है की व्यवस्था की खामियों को उजागर करें , लेकिन इस बात से इनकार नही किया जा सकता की मीडिया को हर पहलू दिखाना चाहिए । मीडिया जज नही है , जो हर मामले में अपना निर्णय दे दे । जो लोग होली की परम्परा से वाकिफ होंगे वे इस बात को जानते होंगे की , होली पर त्योहारी देने का चलन होता है । गावों और छोटे शहरों में आज भी लोग एक दूसरे पर आश्रित रहते है । होली के त्यौहार पर कपड़ा धोने वाले ,बाल काटने वाले , बर्तन माजने वालो को मिठाईया और कुछ रूपये देने की पुरानी परम्परा है । यह सभी जानते है कि आज भी देश कि अधिकांश जनता के लिए होली के कोई मायने नही है । गरीबी से जूझ रही ७० प्रतिशत आबादी कि ज़िन्दगी का हर पहलू बदरंग है । सामाजिक असमानता चरम पर है । लोगो में नफरत ,हिंसा बढ रही है । ऐसे में यदि होली के बहाने कुछ लोग मिठाईया खाने या भोजन के लिए कुछ रूपये पा जा रहे है , तो यह किसी भी प्रकार अनुचित नही है । मीडिया को इस घटना के मद्देनज़र मुफलिसी में जी रहे लोगों के जीवनयापन को दिखाना चाहिए । पत्रकारिता का काम सभी को मंच देना होना चाहिए । याद रखिये यदि एक बार वंचित वर्ग के सब्र का बाध टूटा तो लोकतंत्र कि धज्जिया उड़ जाएँगी । फिर ना रहेगा सिविल सोसाइटी और न रहेगी पत्रकारिता। बताने से पहलेचेतने में ही सब कि भलाई है । हर पहलूँ के दोनों पक्ष दिखाकर उसपर निर्णय करने का अधिकार जनता के पास रहने दीजिये । क्योकि लोकतंत्र में जनता ही सबकुछ है ।

4 comments:

उमाशंकर मिश्र said...

arre bhai bantna samsya ka ilaaj hai kya? iss par jaroor vichar karen aur yeh jaanne ki koshish karen ki govinda ne 5 saal saansad rahte huye kitne din sansad me aakar un muflison ki rahnumai ki hai, jiske liye unhe janta ne loktantra ke mandir me unhe chunkar bheja thha. isi tarah yah bhi janne ki koshish kijiye ki manniya mulayam singh yadav ne uttar pradesh me muflisi me ji rahi janta ke jivan star ko behtar banane ke liye kya kiya hai. mrindra bhai aaj ke rajnetaon ka charitr mahaj ujali chadar chadhhi hai, unka charitra ujla nahin rah gaya hai, janta bhi is baat ko jaanti hai. lekin roti ko taras rahe garibon ko sahib agar 100 rs. mithai khane ke liye de denge to unke liye mulayam sing aur govinda jaise log bhagwan ban jate hain. bas garibon ki iss nabj ko rajnitigya bhali bhanti samjh chuke hain, isliye woh bhi nahin chahenge ki anpadh ganwar ramu-shyamu ke vote hasil karne ke liye unhe hazaron ki mehnat aur karodon rs. kharch karne paden, isliye ramu shyamu ko garib hi rahne do aur 100 rs. dekar unke apne aur sage bankar vote hasil kar lo. ye funda rajniti ka hathiyar ban chuka hai, jiske daldal me desh ki bholi janta pis rahi hai. ab waqt aa gaya hai ki janta aise dhurton ko sabak sikhakar ghar baitha de.

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

ऐसा अभी नेता नाम के प्राणी को तो नहीं लगता.

समय चक्र said...

बढ़िया अभिव्यक्ति . लिखते रहिये ..धन्यवाद.

Anonymous said...

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