भारत के विजय माल्या ने इसे भारत की प्रतिष्ठा से जोड़ते हुए बापू की सभी उपलब्ध वस्तुओं को ११ करोड़ में खरीदा । इसके पहले भी वो टीपू सुलतान की तलवार भारत ला चुके है ।



गांधी के चश्मे की भी नीलामी हुई. महात्मा गांधी का अपने चश्मों के बारे में कहना था," इन चश्मों से मैं आज़ाद भारत की तस्वीर देखता हूँ."

लेकिन प्रश्न यह है की बापू ने जिन दो आधारभूत सिद्धांतों की बात की थी उन पर कितना अमल हो रहा है । महात्मा गाँधी ने कहा था -
१) साधनों की सुचिता और
२)आचरण की पवित्रता
यही दो अमोध हथियार है जिन के बल पर रामराज्य की स्थापना हो सकती है । आज जब समाज में भ्रष्टाचार , हिंसा सहित नाना प्रकार की बुराईयाँ घर कर गई है ऐसे में हमें विचार करना होगा की क्या ? बापू से जुड़े सामानों की हमें आधिक चिंता है ,या उनके सिद्दांतो की ।
आज वैश्विक स्तर पर दो तरह की समस्याएं है -आतंकवाद और आर्थिक मंदी । दोनों का समाधान बापू के सिद्दांतो में है । आतंकवाद का कारण जिसके पास शक्ति है वो उसका दुरुपयोग कर रहा है । शक्तिशाली अमेरिका कमजोर देश जैसे इराक ,अफगानिस्तान को बरबाद कर रहा है । इसकी प्रतिक्रियात्मक हिंषा ही आतंकवाद है । वही दूसरी ओर आर्थिक मंदी का कारण आज की अर्थव्यवस्था का सट्टेबाजी आधारित होना है । भारत जैसे देश में जहाँ ६० प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर है वहां अर्थव्यवस्था कृषि आधारित होनी चाहिए , जिससे रोजगार के आधिक अवसर उत्पन्न हो । बापू ने कहा था कि मशीनीकरण तब तक उचित है जब तक उसे आदमी चलाये ,लेकिन जब यह आदमी को चलाने लगे तो समाज के लिए घातक हो जाएगा ।
आईये बापू के धरोहरों को लाने के साथ ही सत्य ,आहिंसा और सत्याग्रह को अंगीकार करने का एक सार्थक प्रयास कर समाज कि बेहतरी में अपना योगदान सुनिश्चित करें ।
(सभी फोटो बी.बी.सी.से साभार )
1 comment:
bhai kam se kam koi to hai jisne desh ke sangrah ke baare me soch raha hai...
Post a Comment