पिछले कुछ वर्षोँ से लगातार अच्छी फिल्मों में अभिनय कर रहे अक्षय कुमार ने एक कमजोर प्रस्तुति दी है। हम बात कर रहें हैं, ‘चादंनी चौक टू चाइना‘ की।फिल्म के निर्देशक निखिल आडवानी और मुख्य कलाकार अक्षय कुमार, दीपिका पादुकोण,मिथुन चक्रवर्ती हैं। फिल्म की कहानी सिद्धू नामक एक युवक के चांदनी चौक से चाइना पहुंचने की घटना पर आधारित है।संवाद और पटकथा 90 के शुरूआती दशक के फिल्मों की याद दिलाते हैं। प्रारम्भ के ही 30 मिनट में पूरी कहानी समझ में आ जाती है। एक्शन और हास्य दोनों विधाओं मे अक्षय कुमार सामान्य ही दिखे। दीपिका पादुकोण के कुछ स्टंट सीन उनकी अभी तक बन गयी इमेज को तोड़ते दिखाई दिये। फिल्म में कई जगह अश्लील शब्दों का प्रयोग फूहड़ता को दर्शाता है। दीपिका ने फिल्म में डबल रोल का ठीक-ठाक प्रदर्शन किया है। मिथुन के वही पुराने घिसे-पिटे संवाद फिल्म को उबाऊ बनाते है । चापिस्टिक चरित्र फिल्म में कई जगह मनोरंजन करने का प्रयास करता है। चीन की दीवार की हल्की झलक, बेहतरीन काॅस्ट्यूम डिजाइन कुछ देखने लायक चीजें हैं। फिल्म के संगीत और गीत काफी प्रभावी रहे। कैलाश खेर का सूफियाना अंदाज फिल्म में नये तरह की ताजगी भरता है। ’’ नाम है सिद्धूः यस एच आई डीएचयू ’’ गीत बेहद मनोरंजक और कर्णप्रिय लगा। अंत में निर्देशक ने संभावित ’’ चांदनी चौक टू अफ्रीका ’’ बनाने की बात प्रतीक में कही है। ऐसे में दर्शकों की उम्मीदों पर खरा न उतरने के बाद चांदनी चौक टू चाइना की सीक्वेल क्या गुल खिलाएगी ? यह देखना बाकी है।
Saturday, January 24, 2009
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2 comments:
अच्छा लेख है ...आपका और आपके नए ब्लॉग का स्वागत है .....लिखते रहें ......
अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
good effort....
carry on....
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